Monday, 3 February 2014

#24 - "कोई ज़यादा ज़रूरी होगा"

दिन रात उसके ख्यालों में किसी का चेहरा होगा |
वो एक शख्स उसकी ज़िन्दगी में, मुझेसे ज़यादा ज़रूरी होगा ||

राहों पे चलते मैं अक्सर यूँ ही रुकता हूँ |
दुनिया का हाल-चाल पूछने का प्रयास करता हूँ ||
जवाब कुछ ऐसे दे जाती है दुनिया मुझे |
अंदर तक छू जाते है जो आकर मुझे ||

हर कि ज़िन्दगी में मुश्किलें है, कोई बताता नहीं |
दोस्तों में भी अब दुश्मनी है, कोई दिखलाता नहीं ||
इन अधूरे रिश्तों का कोई तो कारण होगा |
शायद उसके लिए कोई, मुझसे भी ज़यादा ज़रूरी होगा ||

क्यों मैं दुनिया के लिए इतना करता हूँ |
क्यों मैं खुद से पहले दूसरों को सोचता हूँ ||
मेरी फितरत नहीं जो मैं ये करना छोड़ता |
दूसरों कि ख़ुशी में खुश होना छोड़ता ||

ज़िन्दगी में जाने क्यों मैं इतना मांगता हूँ |
मैंने किया है तो, मैं उससे वापस मांगता हूँ ||
समझना होगा मुझे, जवाब न आने का कोई कारण होगा |
शायद उसके लिए, कोई मुझसे ज़यादा ज़रूरी होगा ||

किसी के लिए भावनाओं का, और अधिक महत्त्व होगा |
शायद उसकी ज़िन्दगी में, कोई मुझसे ज़यादा ज़रूरी होगा ||

लेखक-अनुज सिंघल  

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