Tuesday, 8 April 2014

#29 - "याद सताती है"




जब भी अपने आप को देखना चाहता हूँ | आईने के सामने जब चला जाता हूँ || जाने क्यों मुझे तू ही नज़र आती है | एक याद तेरी तड़पाती है .. बस याद तेरी सताती है || जब रात में चाँद मुझे तड़पाता है | बादलों के पीछे जब वो छिप जाता है || तब एक यादों कि लहर मुझे छू जाती है | एक याद तेरी तड़पाती है .. बस याद तेरी सताती है ||
जब अकेले बिस्तर पर बैठे मैं खो जाता हूँ | आँखों में नमी का मै एहसास पाता हूँ || जाने कौन से "अनुज" वो दिल के तार छेद जाती है | एक याद तेरी तड़पाती है .. बस याद तेरी सताती है || जब राहों पर मैं बेहिसाब निकलता हूँ | सूनी कोई राह नहीं , मैं सोचा ये करता  हूँ ||
मेरे साथ अपनी यादों को , वो हमेशा चलाती है | एक याद तेरी तड़पाती है .. बस याद तेरी सताती है || इस पूरी दुनिया में मैं गया हूँ जहां भी | किसी भी काम को किया है जब भी || तेरी याद मेरा जीना कठिन बनाती है | एक याद तेरी तड़पाती है .. बस याद तेरी सताती है ||
लेखक - अनुज सिंघल 

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