जब भी अपने आप को देखना चाहता हूँ |
आईने के सामने जब चला जाता हूँ ||
जाने क्यों मुझे तू ही नज़र आती है |
एक याद तेरी तड़पाती है .. बस याद तेरी सताती है ||
जब रात में चाँद मुझे तड़पाता है |
बादलों के पीछे जब वो छिप जाता है ||
तब एक यादों कि लहर मुझे छू जाती है |
एक याद तेरी तड़पाती है .. बस याद तेरी सताती है ||
जब अकेले बिस्तर पर बैठे मैं खो जाता हूँ |
आँखों में नमी का मै एहसास पाता हूँ ||
जाने कौन से "अनुज" वो दिल के तार छेद जाती है |
एक याद तेरी तड़पाती है .. बस याद तेरी सताती है ||
जब राहों पर मैं बेहिसाब निकलता हूँ |
सूनी कोई राह नहीं , मैं सोचा ये करता हूँ ||
मेरे साथ अपनी यादों को , वो हमेशा चलाती है |
एक याद तेरी तड़पाती है .. बस याद तेरी सताती है ||
इस पूरी दुनिया में मैं गया हूँ जहां भी |
किसी भी काम को किया है जब भी ||
तेरी याद मेरा जीना कठिन बनाती है |
एक याद तेरी तड़पाती है .. बस याद तेरी सताती है ||
लेखक - अनुज सिंघल
जब अकेले बिस्तर पर बैठे मैं खो जाता हूँ | आँखों में नमी का मै एहसास पाता हूँ || जाने कौन से "अनुज" वो दिल के तार छेद जाती है | एक याद तेरी तड़पाती है .. बस याद तेरी सताती है || जब राहों पर मैं बेहिसाब निकलता हूँ | सूनी कोई राह नहीं , मैं सोचा ये करता हूँ ||
मेरे साथ अपनी यादों को , वो हमेशा चलाती है | एक याद तेरी तड़पाती है .. बस याद तेरी सताती है || इस पूरी दुनिया में मैं गया हूँ जहां भी | किसी भी काम को किया है जब भी || तेरी याद मेरा जीना कठिन बनाती है | एक याद तेरी तड़पाती है .. बस याद तेरी सताती है ||
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