Monday, 8 June 2020

#43 - "तुमसे कह नहीं पाऊंगा"

ज़माना खराब है, तुमसे ज़रूरी कुछ नहीं
मुझे बस खबर रहे, और खास कुछ नहीं
हाल अपना बताती रहना, पूछ नहीं पाऊंगा
फ़िक्र बहुत है मगर, तुमसे कह नहीं पाऊंगा

खफा तुम होगी, लाज़मी है, शिकायत नहीं रखता
मेरा रब, मेरी जान हो, तुम्हे नाराज़ नहीं रखता
थोड़ा इश्क़ में नया हूं, खरा उतर नहीं पाऊंगा
तुम खुद मान जाना, तुमसे कह नहीं पाऊंगा

रास्ता लंबा है हमसफ़र, तकरार बहुत होंगे
मेरे तुम्हारे मन के विपरीत काम बहुत होंगे
मैं, तो कभी तुम करोगे, गुस्सा सह नहीं पाऊंगा
तुम धीरे से समझाना, तुमसे कह नहीं पाऊंगा

-अनुज सिंघल

Saturday, 14 December 2019

#42 - वो आए तो उसे रानी बुलाना

मेरी राहों का अंत, मेरी मंजिल वही है
एक नजर देख लिया मेरा गुनाह वही है
वह आज भी पूछती है मुझे हां क्यों कह दिया
बहुत मिलती, इंतजार को ना क्यों कह दिया
जवाब फुर्सत में दूंगा, अंधेरा ही रहने दो
वो मेरा हुआ है ज़रा मेरा ही रहने दो
मेरे पिता ने सिखाया है भूलूंगा कैसे
उसे ईश्वर से कम भला पूजुंगा कैसे
वो दुल्हन बन आई कायनात देखती रह गई
ख्वाबों की सारी अप्सरा भी फीकी रह गई
इस आंगन में एक मधुर पाजेब छंकेगी
खुशी सूरज की तरह हर ओर चमकेगी
चांदनी तू भी मेरी एक मदद कर दे
पड़ के मुझपे, मुझे उस लायक कर दे
ए तारों उस रात तुम भी काम आना
अपनी छाओं से बुराइयां दूर भगाना
ज्वाला तुम उसके सारे मिटा दुख देना
साक्षी बनना, सात जन्मों का सुख देना
मेहंदी तुम भी रच के इतिहास बना दो
जो कभी ना टूटे रिश्ता यह खास बना दो
जमाने वालों जात-पात उस रात भूलना
उसके आचरण की पवित्रता में तुम भी घुलना
अब यह मत पूछो उसे किस नाम से है बुलाना
वो आए तो उसे बस रानी ही बुलाना

-अनुज सिंघल

Saturday, 10 November 2018

#41- "हाँ... मुझमें ही कुछ कमी रही होगी"

Ayushmann Khurana's line "वो सीख के गया है मोहब्बत मुझसे, अब जिससे करेगा, बेमिसाल करेगा" made me unfold the poet in me, once again. Writing after almost 2 years. Presenting:

"हाँ... मुझेमें ही कुछ कमी रही होगी"

वो मेरी नहीं रही, सच मुझे गवारा नहीं होता
क्या यह वही है, मुझे अंदाजा नहीं होता
उसके लिए दिल छोड़ो, जान लूटा रही होगी
हाँ... मुझेमें ही कुछ कमी रही होगी

वो लड़का बदनाम है, उसे मशहूर लगता है
उसका हर एक झूठ उसे मकबूल लगता है
कारण उसके, प्यार पे ऐतबार कर रही होगी
हाँ... मुझेमें ही कुछ कमी रही होगी

मुझे याद नहीं हक कभी उसने जताया हो
कभी हौले से अपना कोई डर मुझे बताया हो
सुनता है वो बेहतर, उसे सब बता रही होगी
हाँ... मुझेमें ही कुछ कमी रही होगी

हिफ़ाज़त, सब्र, ताक़ारा, मोहब्बत में जरूरी है
पहले नहीं, मगर अब कहती है ये लाजमी है
शुक्र है, उसकी तो ज़िन्दगी जन्नत कर रही होगी
हाँ... मुझेमें ही कुछ कमी रही होगी

मैं वो हरगिज़ न था जो उसने सोचा था
जाने क्यों फिर उसने सिर्फ मुझे चुना था
अब मिला है वो, हस्ती सवार रही होगी
हाँ... मुझेमें ही कुछ कमी रही होगी

इल्ज़ामात प्यार पर है, मुझे वो इसमें शामिल नहीं करतीं
मैं जुदा हुआ तो क्या, मेरी कविता से किनारा नहीं करती
पढ़ के इसे "सिंघल" आंसू पलकों से बहा रही होगी
वो सच कहती है, मुझमें ही कमी रही होगी

अनुज सिंघल

Saturday, 3 February 2018

#40 - "सपने"

दिन गुज़रे मगर साँसों की बेताबी वही रही
रात को नींद न आने की रवानी वही रही
लाख समझाया खुद को, छोड़ दूं मगर
दिल की आकांक्षाओं से रूहानी वही रही

कभी पास बैठो, हम हाल-ए-दिल बताते हैं
रात को तो था, अब दिन में भी सताते हैं
मेरे हबीब हुए, छोड़ने का नाम नहीं लेते
मंज़िल के ख्याल हर पल मुझे रुलाते है

मन को चंचल करार दूँ, हल फिर नहीं होगा
सिलसिला सपनों का, खत्म फिर नहीं होगा
वफादारी कोई सीखे, "सिंघल" तेरे इरादों से
ये लाख तोड़ लें तुझे, तू हारा फिर नहीं होगा

Saturday, 15 July 2017

#39 - "अब लौट आओ ना"

सावन में तुम्हारी ज़ुल्फ़ों की बरसात याद आती है...
बादलों को देख, तुम्हारी अदाकारी याद आती है...
हर जगह तुम्हें आज भी ढूंढता है "अनुज"...
अब लौट आओ ना, के तुम्हारी याद आती है....

जान, दिल, समय, प्यार, जो मांगो, हाज़िर कर देंगे...
सब तुम्हारे नाम है, देखना, तुम्ही को अर्पण कर देंगे...
मेरा हर सपना तुमसे ही शुरू है तुमपर ही खत्म...
तुम लौट तो आओ, हर सपना हकीकत कर देंगे...

ये माना के समझने में तुम्हे, हमसे भूल हो गई...
इसकी सज़ा मुझे मिली, तुम मुझसे दूर हो गई...
लिखा है खुदा ने अगर मेरे हिस्से में तरी याद को...
इतना याद किया कि ये भी हमें मकबूल हो गई...

कम से कम याद में तेरा ज़िक्र, तेरा होना तो है...
तेरा रहना, तेरा जाना, तुझको खोना तो है...
ना जाने मुक्कदर में मेरे क्या लिखा है मगर...
थोड़ा टूटना, थोड़ा हारना, थोड़ा रोना तो है...

चलो ठीक है मान लिया घनघोर रुसवाई सही थी...
रूठने की, रोने की, जाने की, हर वजह सही थी...
अब लौट आओ के ये दिल बेकरार है "सिंघल"...
साबित करदें, तुम्हारी और मेरी जोड़ी सही थी...

Thursday, 25 February 2016

#38 - "She Made Me!!!"



उसने ख्वाब में आना था, सोना सीख गया...
उसने दूर जाना था, मैं रोना सीख गया...
वो पल भर के लिए ही दूर हुई थी अभी...
उसी पल को जीकर, मैं खोना सीख गया...

लब छुए जबसे, तबसे गा सकता हूँ...
आँखें छुई जबसे, सब देख सकता हूँ...
मुझे इंसान बनाने की हकदार वो है...
उसने दिल छुआ, अब प्यार कर सकता हूँ...

उसने नज़रें मिला देखा, शर्माना सीख गया...
उसकी "छोड़ो ना" सुन कर, नज़ाकत सीख गया...
कल सपने में ही सही, वो हाँ कह गयी...
उसी सपने को देख कर, मैं जीतना सीख गया...

- सिंघल 

Saturday, 13 June 2015

#37 -"मुहब्बत ना मरने देना"



"मुहब्बत ना मरने देना..."

आँखों  के  मंज़र  न  जाने  कितनी  बार  बदलेंगे...
तुम्हे  चाहने  वाले  भी  न  जाने  कितनी  बार  बदलेंगे...
फेर-बदल  के  इस  सिलसिले  में, मंन  को  फीका  न  होने  देना...
हो  जाए  कुछ  भी , ज़िन्दगी  से  मुहब्बत ना मरने देना...

ये  माना  के  कुछ  लम्हों  में  मुहब्बत पिछड़  जाती  है...
कभी-कभी  ज़िम्मेदारियों  की  दौड़  में, वो  हार  जाती  है...
लेकिन  हार  कर  भी  जिताना, मौत  न  होने  देना...
ज़िन्दगी  खुशाल रहेगी, बस, मुहब्बत ना मरने देना...

जो  सुकून  दुनिया  के  किसी  काम  में  नहीं  मिलता ....
वो  बस  चाहने  वाले  की  मुहब्बत  से  है  मिलता ...
पैसा  बड़ी  चीज़  है , लेकिन  उसे  प्रथम  न  होने  देना ...
पैसे  की  आड़  में  भी , मुहब्बत ना मरने देना ...

दिल  से  जियो  हर  पल, ख़ुशी  इंतज़ार  करती  है ...
मुहब्बत  के  पैगाम  को, दुनिया  सलाम  करती  है ...
कोई  बात दुश्मनी की करे, वार  प्यार  का  कर  देना ...
ज़िद्द  समझ  के  ही  "अनुज", मुहब्बत ना मरने देना ...

-अनुज  सिंघल