मेरी राहों का अंत, मेरी मंजिल वही है
एक नजर देख लिया मेरा गुनाह वही है
वह आज भी पूछती है मुझे हां क्यों कह दिया
बहुत मिलती, इंतजार को ना क्यों कह दिया
जवाब फुर्सत में दूंगा, अंधेरा ही रहने दो
वो मेरा हुआ है ज़रा मेरा ही रहने दो
मेरे पिता ने सिखाया है भूलूंगा कैसे
उसे ईश्वर से कम भला पूजुंगा कैसे
वो दुल्हन बन आई कायनात देखती रह गई
ख्वाबों की सारी अप्सरा भी फीकी रह गई
इस आंगन में एक मधुर पाजेब छंकेगी
खुशी सूरज की तरह हर ओर चमकेगी
चांदनी तू भी मेरी एक मदद कर दे
पड़ के मुझपे, मुझे उस लायक कर दे
ए तारों उस रात तुम भी काम आना
अपनी छाओं से बुराइयां दूर भगाना
ज्वाला तुम उसके सारे मिटा दुख देना
साक्षी बनना, सात जन्मों का सुख देना
मेहंदी तुम भी रच के इतिहास बना दो
जो कभी ना टूटे रिश्ता यह खास बना दो
जमाने वालों जात-पात उस रात भूलना
उसके आचरण की पवित्रता में तुम भी घुलना
अब यह मत पूछो उसे किस नाम से है बुलाना
वो आए तो उसे बस रानी ही बुलाना
-अनुज सिंघल
एक नजर देख लिया मेरा गुनाह वही है
वह आज भी पूछती है मुझे हां क्यों कह दिया
बहुत मिलती, इंतजार को ना क्यों कह दिया
जवाब फुर्सत में दूंगा, अंधेरा ही रहने दो
वो मेरा हुआ है ज़रा मेरा ही रहने दो
मेरे पिता ने सिखाया है भूलूंगा कैसे
उसे ईश्वर से कम भला पूजुंगा कैसे
वो दुल्हन बन आई कायनात देखती रह गई
ख्वाबों की सारी अप्सरा भी फीकी रह गई
इस आंगन में एक मधुर पाजेब छंकेगी
खुशी सूरज की तरह हर ओर चमकेगी
चांदनी तू भी मेरी एक मदद कर दे
पड़ के मुझपे, मुझे उस लायक कर दे
ए तारों उस रात तुम भी काम आना
अपनी छाओं से बुराइयां दूर भगाना
ज्वाला तुम उसके सारे मिटा दुख देना
साक्षी बनना, सात जन्मों का सुख देना
मेहंदी तुम भी रच के इतिहास बना दो
जो कभी ना टूटे रिश्ता यह खास बना दो
जमाने वालों जात-पात उस रात भूलना
उसके आचरण की पवित्रता में तुम भी घुलना
अब यह मत पूछो उसे किस नाम से है बुलाना
वो आए तो उसे बस रानी ही बुलाना
-अनुज सिंघल