सावन में तुम्हारी ज़ुल्फ़ों की बरसात याद आती है...
बादलों को देख, तुम्हारी अदाकारी याद आती है...
हर जगह तुम्हें आज भी ढूंढता है "अनुज"...
अब लौट आओ ना, के तुम्हारी याद आती है....
जान, दिल, समय, प्यार, जो मांगो, हाज़िर कर देंगे...
सब तुम्हारे नाम है, देखना, तुम्ही को अर्पण कर देंगे...
मेरा हर सपना तुमसे ही शुरू है तुमपर ही खत्म...
तुम लौट तो आओ, हर सपना हकीकत कर देंगे...
ये माना के समझने में तुम्हे, हमसे भूल हो गई...
इसकी सज़ा मुझे मिली, तुम मुझसे दूर हो गई...
लिखा है खुदा ने अगर मेरे हिस्से में तरी याद को...
इतना याद किया कि ये भी हमें मकबूल हो गई...
कम से कम याद में तेरा ज़िक्र, तेरा होना तो है...
तेरा रहना, तेरा जाना, तुझको खोना तो है...
ना जाने मुक्कदर में मेरे क्या लिखा है मगर...
थोड़ा टूटना, थोड़ा हारना, थोड़ा रोना तो है...
चलो ठीक है मान लिया घनघोर रुसवाई सही थी...
रूठने की, रोने की, जाने की, हर वजह सही थी...
अब लौट आओ के ये दिल बेकरार है "सिंघल"...
साबित करदें, तुम्हारी और मेरी जोड़ी सही थी...
बादलों को देख, तुम्हारी अदाकारी याद आती है...
हर जगह तुम्हें आज भी ढूंढता है "अनुज"...
अब लौट आओ ना, के तुम्हारी याद आती है....
जान, दिल, समय, प्यार, जो मांगो, हाज़िर कर देंगे...
सब तुम्हारे नाम है, देखना, तुम्ही को अर्पण कर देंगे...
मेरा हर सपना तुमसे ही शुरू है तुमपर ही खत्म...
तुम लौट तो आओ, हर सपना हकीकत कर देंगे...
ये माना के समझने में तुम्हे, हमसे भूल हो गई...
इसकी सज़ा मुझे मिली, तुम मुझसे दूर हो गई...
लिखा है खुदा ने अगर मेरे हिस्से में तरी याद को...
इतना याद किया कि ये भी हमें मकबूल हो गई...
कम से कम याद में तेरा ज़िक्र, तेरा होना तो है...
तेरा रहना, तेरा जाना, तुझको खोना तो है...
ना जाने मुक्कदर में मेरे क्या लिखा है मगर...
थोड़ा टूटना, थोड़ा हारना, थोड़ा रोना तो है...
चलो ठीक है मान लिया घनघोर रुसवाई सही थी...
रूठने की, रोने की, जाने की, हर वजह सही थी...
अब लौट आओ के ये दिल बेकरार है "सिंघल"...
साबित करदें, तुम्हारी और मेरी जोड़ी सही थी...