"मुहब्बत ना मरने देना..."
आँखों के मंज़र न जाने कितनी बार बदलेंगे...
तुम्हे चाहने वाले भी न जाने कितनी बार बदलेंगे...
फेर-बदल के इस सिलसिले में, मंन को फीका न होने देना...
हो जाए कुछ भी , ज़िन्दगी से मुहब्बत ना मरने देना...
ये माना के कुछ लम्हों में मुहब्बत पिछड़ जाती है...
कभी-कभी ज़िम्मेदारियों की दौड़ में, वो हार जाती है...
लेकिन हार कर भी जिताना, मौत न होने देना...
ज़िन्दगी खुशाल रहेगी, बस, मुहब्बत ना मरने देना...
जो सुकून दुनिया के किसी काम में नहीं मिलता ....
वो बस चाहने वाले की मुहब्बत से है मिलता ...
पैसा बड़ी चीज़ है , लेकिन उसे प्रथम न होने देना ...
पैसे की आड़ में भी , मुहब्बत ना मरने देना ...
दिल से जियो हर पल, ख़ुशी इंतज़ार करती है ...
मुहब्बत के पैगाम को, दुनिया सलाम करती है ...
कोई बात दुश्मनी की करे, वार प्यार का कर देना ...
ज़िद्द समझ के ही "अनुज", मुहब्बत ना मरने देना ...
-अनुज सिंघल